मंगलवार, 16 फ़रवरी 2016

गुमशुदा लोगों की तलाश है मुझे


मिथिलेश आदित्य
गुमशुदा लोगों की तलाश है मुझे,
मिलेगा कहीं नसीब पे आस है मुझे

वक्त चाहे करवट ले बहरुपियों सा,
बेनकाब करने के शीशे पास है मुझे

तुम्हें देखकर सगुन बनता है ऐसा,
कि देता साथ जमीं आकाश है मुझे

ऊपज फिजा का हुआ हूँ देखो कैसा,
सहर जिन्दगी कर रहा नाश है मुझे

भीड़ इतना बड़ा क्यूँ हुआ काहिलों का,
यह सवाल कर जाता उदास है मुझे

हालातों से बाँधे गए जिनके बढ़े कदम,
सचमुच वो दिखने लगा लाश है मुझे
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