-मिथिलेश आदित्य
तुमने मुझसे ऐसी दोस्ती
की है,
प्यार से जिन्दगी
में रोशनी दी
है ।
मिली तुम तो
मैं इक मकाम
पाया,
मेरे दिल में
रहती तितली सी
है ।
होंगे नहीं हम
— तुम कभी जुदा,
जमीं इक चराग
की असली सी
है ।
सच सामने बोला नहीं
जा रहा,
जुबां हो गयी
अब नकली सी
है ।
तुमको पाकर उग
रहा आदित्य,
पास रहकर तुम
जिन्दगी सी है
।
...
...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें