-मिथिलेश आदित्य
अजीब लोग आज होने लगे हैं,
रात से छुपकर सोने लगे हैं ।
दिल में प्यार अब नहीं बसता,
इस वजह से वो रोने लगे हैं ।
मेरे अश्कों से बना है समन्दर,
जहां का दर्द हम ढोने लगे हैं ।
आदमी चमकेगा कभी तो दोस्त,
मेहनत को खेतों में बोने लगे हैं ।
चेहरा साफ दिखे इसलिए आदित्य,
आईना अश्कों से खुद धोने लगे हैं ।
अजीब लोग आज होने लगे हैं,
रात से छुपकर सोने लगे हैं ।
दिल में प्यार अब नहीं बसता,
इस वजह से वो रोने लगे हैं ।
मेरे अश्कों से बना है समन्दर,
जहां का दर्द हम ढोने लगे हैं ।
आदमी चमकेगा कभी तो दोस्त,
मेहनत को खेतों में बोने लगे हैं ।
चेहरा साफ दिखे इसलिए आदित्य,
आईना अश्कों से खुद धोने लगे हैं ।
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